बुधवार, नवंबर 24, 2010

तुने हमे ठुकराया है

तुने हमे ठुकराया है ,
हम हैं प्रेम पंथ पर चलने वाले ,
विरह अग्नि में जलने वाले,
अश्रु -कणों को नयन दबा कर ,फिर से अधर मुस्काया है ,
तुने हमे ठुकराया है ,
हम सूरज है ढलने वाले ,
हम शिला - खण्ड है गलने वाले,
बिन प्रेम प्राण इस जग जीवन में, कहाँ कोई जी पाया है ,
तुने हमे ठुकराया है ,
ओ! मेरे ह्रदय में पलने वाले ,
ओ! यथार्थ में न मिलने वाले ,
स्वप्नों में तुझको पा कर ,ये मन कैसे बौराया है
तुने हमे ठुकराया है ,
''तुम्हारा --अनंत''

1 टिप्पणी:

Amit K Sagar ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर, उम्दा. जारी रहें.
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कुछ ग़मों के दीये