शुक्रवार, नवंबर 12, 2010

तुम हमे सहारा मत देना

तुम हमें सहारा मत देना ,

हम रज ढेर बने उड़े पवन में ,

बन कर तिनका हम जले अगन में ,

जब हम गुजरे तेरे नगर से, तू हमे गुजरा मत देना,

तुम हमे सहारा मत देना,

हम राह पड़े है पाहन से ,

तुम हमे देखते घर के आँगन से ,

प्यासा कंठ हमारा है पर ,तुम हमे झूठे प्रेम कि धरा मत देना ,

तुम हमें सहारा मत देना ,

जीवित है हम बेमन से ,

हम ऊब गए है जीवन से ,

देख लिया है हमने तेरा सत्य रूप ,अब दरश दुबारा मत देना ,

तुम हमे सहारा मत देना,

''तुम्हारा--अनंत''

1 टिप्पणी:

Shut_Your_Mouth ने कहा…

no doubt, u r a fntstc upcmng poet.