सोमवार, नवंबर 15, 2010

उसकी याद आई है

आज फिर से उसकी याद आयी है ,
शाम के आँचल मैं दर्द बिछा कर,
चारों तरफ अश्कों की बूँद सजा कर,
छेडी फिर से वही तान ,वही ग़ज़ल सुनाई है ,
आज फिर से उसकी याद आई है,

न जाने क्यों दुखता है मन ,
आँखों से बहता है सावन,
लोग भीगाते है अपनी काया ,मैंने अपनी रूह भिगाई है,
आज फिर से उसकी याद आई है ,

मै बोल रहा था वो शांत खडी थी,
मैं बहा पड़ा था वो अड़ी खडी थी ,
उसने चुप रह कर, मेरे प्रेम की हंसी उड़ाई है,
आज फिर से उसकी याद आई है ,

मैंने सुना था अनमोल प्यार है ,
प्यार ही जीवन का आधार है,
पर उसने मेरे प्रेम की, कैसी बोली लगाई है
आज फिर से उसकी याद आई है ,

मेरे दर्द को कविता कहने वालों ,
मेरी अश्रु -धार में बहने वालों ,
सुन कर मेरी व्यथा -कथा ,तुम्हारी भी आँखे भर आँई है ,
आज फिर से उसकी याद आई है ,

''तुम्हारा --अनंत ''

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