बुधवार, अप्रैल 13, 2011

खारा सा ख्याल

एक खारा-खारा ,
ख़ाकी-ख़ाकी ,
ख्याल सताता रहता है ,

जब भी तनहा,
 कभी अकेले ,
तन्हाई में,
 खुद से बातें करता हूँ ,

ये आ कर बैठ जाता है सामने ,
प्यासे कुत्ते की तरह ,

हाँक देता हूँ जब इसे ,
ये भौंरा बन जाता है ,
और भूम-घूम कर बस यही बडबडाता है,

''जैसा तुम कर रहे हो 
अपमे माँ-बाप के साथ 
तुम्हारे बच्चे भी 
वैसा ही करेंगे तुम्हारे साथ ,, 

तुम्हारा --अनंत 

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