मंगलवार, सितंबर 02, 2014

ये जाना है प्रेमी ने, प्रेम करके

वक़्त के हांथो मजबूर प्रेमी
समय का सबसे बड़ा दुश्मन होता है
वो समय को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहता है
इसीलिए वो एकांत से बातें करता है
और चाँद की ओर देख कर उदास हो जाता है
वो कमरे की बत्तियां बुझा देता है
और कभी कुछ नहीं करता

एकांत से बातें करने
चाँद को देख कर उदास होने
और अँधेरे में पड़े रहकर, कुछ न करने से
समय नष्ट हो जाता है
ये प्रेमी ने जाना है, प्रेम करके

प्रेम करने के बाद
आत्मा की भाषा बदल जाती है
और उसे अनुवाद और अनुवादक की जरुरत पड़ती है
पर यदि अनुवादक मना करदे, अनुवाद करने से
तो अपनी ही आत्मा अनजान सी लगती है
और प्रेमी कैद हो जाता है, अपनी ही देह में
एक परग्रही आत्मा के साथ

कितना दुखद होता है
अपनी ही देह में
अपनी ही आत्मा को परग्रही होते हुए देखना
ये प्रेमी ने जाना है, प्रेम करके

प्रेमी के दिल में, हर वक़्त
नीलाम होते घर की किसी दीवार पर पड़े जाले सा भाव उमड़ता है
और आस-पास की आक्सीजन एकदम ख़तम कर देता है
ऐसे समय में कविता लिखना, जीते रहने का एकमात्र विकल्प है
इस तरह दुनिया में जितने कवि है
वो सभी जीने की विवशता में
कविता को पी रहें हैं
और बस इसी तरह जी रहें हैं

अतः कवि होने की एकमात्र कसौटी
मृत्यु को नकार कर जीना है
और आक्सीजन की जगह, कविताओं को पीना है

एक कोमल कहानी ख़त्म होने से पहले
कई बार आंसुओं से नहाती है
बिना आक्सीजन के जीते हुए कवितायेँ लिखती है
और प्रेमी को ये बताती है
कि शब्द सिर्फ बोलने के लिए ही नहीं हैं
जीने के लिए भी हैं

शब्द कैसे कविता
और कविता कैसे जीवन बनती है
ये जाना है प्रेमी ने, प्रेम करके


तुम्हारा-अनंत  

कोई टिप्पणी नहीं: