शनिवार, फ़रवरी 28, 2015

न तड़पे, न आंसू बहाए, ये दिल उसे भूल जाए..

जब कोई अपना अजनबी बन जाए
तब इस दिल को कौन समझाए
ये उसे भूल जाए
न तड़पे, न आंसू बहाए
ये दिल उसे भूल जाए..

पर मुमकिन कहाँ है, गुल खुशबु को भूले
चाँद सितारों को भूले, आसमाँ सूरज को भूले
जिस्म जाँ को, रूह धड़कनों को भूले
जब कोई देखना ही न चाहे
तब ये जख्म किसको दिखाएँ

न तड़पे, न आंसू बहाए
ये दिल उसे भूल जाए..

जब जिंदगी के ज़ीने से उतारते हुए
दिखें ख्वाब सब बिखरते हुए
अश्कों के चश्मे बहते हुए
यादों के कांटे चुभते हुए
अब तो जीना पड़ेगा
उसके ख्यालों को जिगर में बसाए

न तड़पे, न आंसू बहाए
ये दिल उसे भूल जाए..

कोई किसी को न अपना बनाए
जो सच न हो, उसे न सपना बनाए
सपने टूट कर जिगर में चुभेंगे
जो सच है हम तो बस वो ही कहेंगे
जख्म देने वाला ही, जब मरहम लगाए
फरेब हम उसे न कैसे बताएं

न तड़पे, न आंसू बहाए
ये दिल उसे भूल जाए..

तुम्हारा- अनंत
   

बुधवार, फ़रवरी 25, 2015

दोनों मिल कर साथ चलेंगे...!!

कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलेंगे
दोनों मिल कर साथ चलेंगे

जीवन हो जगमग, जगमग
या फिर अंधियारी हो मग
अधरों पर मुस्कान सजे
या फिर अश्रु में डूबे दृग
अब जो भी होगा इस जीवन में
दोनो मिल कर साथ सहेंगे

कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलेंगे
दोनों मिल कर साथ चलेंगे.......

एक प्यारा सा सपना देखा
जिसमे तुम भी थे और हम भी थे
दोनों के लब मुस्काये थे
दोनों के नयना नम भी थे
इस स्वप्न गगन में हम साथ उगे हैं
दोनों मिल कर साथ ढलेंगे

कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलेंगे
दोनों मिल कर साथ चलेंगे.........

सुख की सर्दी, ग़म की गर्मी
अश्कों की बरसात मिलेगी
फूलों जैसे दिन भी होंगे
पत्थर जैसी रात मिलेगी
बन के दीपक, बन के बाती
जीवन भर हम साथ जलेंगे

कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलेंगे
दोनों मिल कर साथ चलेंगे.........

तुम्हारा-अनंत