सोमवार, मई 15, 2017

कविता की तरह..!!

तुम अपने हर एक कदम में जितनी जमीन दबाती हो
मेरा कुल वजूद उतना ही है
इसलिए तुम चला मत करो
उड़ा करो
कविता की तरह

तुम्हारा-अनंत 

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