सोमवार, जून 12, 2017

सूरत बदली जाती है...!!

सीने की आग, बर्फ सी चुप्पी
धीरे धीरे पिघलाती है
सड़कों पर तनती है मुट्ठी
जगह जगह लहराती है
गाती है, गाती है, जवानी
गीत वही दोहराती है
मेरा रंग दे बसंती चोला वाला
गीत वही दोहराती है
सूरत बदली जाती है
हाँ सूरत बदली जाती है-2

जो तख़्त पे बैठा, बना बादशाह
मूछों पे हाँथ फिराता है
छप्पन इंची वाला सीना
ठोंक ठोंक इतराता है
रोता है, गाता है, देखो
कितने करतब दिखलाता है
बम, गोली, लाठी, डंडे
सब हथकंडे आजमाता है
उस तानशाह के हस्ती
हम मस्तों की मस्ती से थर्राती है
सूरत बदली जाती है
हाँ सूरत बदली जाती है-2

दबी दबी आवाज़ों में भी
कुछ इंक़लाब सा घुलता है
ठन्डे पड़े जिगर में फिर से
लावा कोई उबलता है
जज़्बा सरफ़रोशी का
रह रह कर आज मचलता है
चाहे जितना तेज़ तपे
दमन का सूरज एक दिन ढलता है
जब जब हुई लड़ाई हम ही जीते हैं
दुनिया की तारीख़ यही बताती है
सूरत बदली जाती है
हाँ सूरत बदली जाती है-2

सूखे ख़ून के धब्बे कहते
नहीं सहेंगे जुल्म तेरा
सौ में पूरे नब्बे कहते
नहीं सहेंगे जुल्म तेरा
पॉवों में पड़ी बेड़ियाँ कहती
नहीं सहेंगे जुल्म तेरा
बेटे और बेटियां कहती
नहीं सहेंगे जुल्म तेरा
उठती आवाज़ों के सामने
जुल्मी की गर्दन झुकती जाती है
सूरत बदली जाती है
हाँ सूरत बदली जाती है-2

तुम्हारा-अनंत

कोई टिप्पणी नहीं: