सोमवार, दिसंबर 25, 2017

मैं एक रहस्य ही हूँ..!!

मैं खुद को एक नदी समझता था
और वो मुझे एक तालाब समझती थी
मुझे लगता था
मैं नदी की तरह आगे निकल जाऊंगा
और उसे लगता था कि
मैं तालाब की तरह वहीँ रह जाऊंगा

वो ना तालाब थी, ना नदी
वो पानी थी
और उसके जाने के बाद
मैं ना तालाब रहा, ना नदी

मैं क्या हूँ ?
अब ये एक रहस्य है

और शायद
मैं एक रहस्य ही हूँ !!

अनुराग अनंत

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